वो कहते हैं इश्क़ हद में करो
जो इश्क़ क्या है ना जाने
ये दिल तो अनपढ़ देहाती सा है
क्या कुछ लिखा है क्या जाने
बाहर से देखा जिन्होंने
अंदर चले क्या क्या जाने
हम जल जाएंगे राख बचेगी
इश्क़ में इतना आग बचेगी
फिर भी इन सीली आंखों में
आखिरी लॉ तक आस बचेगी
जल जाएंगे राख बचेगी
इश्क़ में इतना आग बचेगी
फिर भी इन् सीली आंखों में
आखिरी लॉ तक आस बचेगी
हम्म..
ओ..
चुप तो ना होगी मोहब्बत
दुशवारियों से डरा के
उम्मीद इसका लहू है
है दर्द इसकी खुराकें
जितने ज़ख़्म और जुड़ेंगे
उतना बढ़ेंगी ये शाखें
वो काट डाले हमें चाहे रोज़
ज़िद्द जड़ में है क्या करेंगे
एक प्यार एक जंग दोनों के दोष
एक घर में है क्या करेंगे
एक दिल ही खुद में बहोत है
किस किस की परवाह करेंगे
हम जल जाएंगे राख बचेगी
इश्क़ में इतना आग बचेगी
फिर भी इन सीली आंखों में
आखिरी लॉ तक आस बचेगी
जल जाएंगे राख बचेगी
इश्क़ में इतना आग बचेगी
फिर भी इन सीली आंखों में
आखिरी लॉ तक आस बचेगी
ओ..
हम्म..